बच्चे के जन्म से लेकर उसके प्रथम 12 महीने बहुत ही अहम होते हैं इसके दौरान बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास होता है शिशु की ग्रोथ, उसका वजन, इसके लिए शिशु को विशेष केयर की आवश्यकता होती है इसके लिए कुछ विशेष सावधानियां रखनी होती है, जो की शिशु के जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है ।

उसका खान-पान यानी डाइट

जन्म के बाद शिशु के दिमाग की विकास के लिए शुरू के 2 साल तक शरीर में पौष्टिक तत्व की बहुत जरूरत होती है।
नवजात शिशु का सामान्य वजन ढाई से 4 किलो के बीच होना चाहिए यदि इससे कम वजन होता है तो उसके शरीर में हर तरह के न्यूट्रिएंट्स की पूर्ति होना जरूरी होता है।
उसे रेगुलर 6 माह तक मां का दूध दिया जाना चाहिए जिससे कि उसके शरीर में न्यूट्रिएंट्स की पूर्ति हो।
6 माह के पश्चात उसको धीरे-धीरे फल, उबली सब्जियां, मैश कर या दलिया खिचड़ी आदि धीरे-धीरे हमे 6 महीने तक बच्चे को केवल स्तनपान कराना चाहिए।
स्तनपान करने से शिशु मै रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है उसकी हड्डिया मांसपेशियां मजबूत होती हैं परंतु 6 माह के बाद उसको धीरे-धीरे दाल, उबली दाल का पानी, दूध, दही, पनीर खिलाकर प्रोटीन की पूर्ति कर सकते हैं।
शिशु को कम मीठा चावल, दूध की खीर, मैश कर के केला, पपीता आदि खाने को दे सकते हैं दलिया और खिचड़ी भी उसके लिए पौष्टिक रहेंगे। गोभी, गाजर, टमाटर ,पालक आदि को उबाल कर मैश कर खिलाना चाहिए यह शिशु के लिए हेल्दी डाइट है।
सावधानियां

अनेकों बार देखने में आता है कि नवजात मेटाबॉलिक डिसऑर्डर या किसी अहम तत्व की कमी के कारण उसकी दिमाग की क्षमता कमजोर हो जाती है व शारीरिक संरचना से जुड़ी समस्याएं भी पैदा हो जाती है। ऐसे में शुरुआत से ही डॉक्टरी सलाह की बहुत आवश्यकता है ताकि भविष्य में यह ज्यादा गंभीर रूप न ले सके।
कमजोर इम्युनिटी के साथ जन्मे बच्चों को मौसमी रोगों का खतरा अधिक रहता है इन रोगों से बचाव ही एकमात्र उपाय है।
कुछ नवजात शिशु की कमजोर इम्युनिटी की वजह से विभिन्न तरह के कीटाणुओं के हमले की आशंका रहती है, ऐसे में बच्चे को छूने, गोद में लेने से पहले अपने हाथों को सैनिटाइज करें उनको साफ रखें।
शिशु के शरीर की मांसपेशी और हड्डियां काफी नाजुक होते इसलिए उसे गोद में लेने उठाने से पहले उसकी गर्दन सिर और कमर पर सपोर्ट जरूर करें।
वैक्सीनेशन या टीकाकरण

शिशु के जन्म से लेकर 1 वर्ष तक प्रमुख रोगों जैसे पोलियो, चिकन पॉक्स, कुकर खांसी, निमोनिया, ट्यूबरक्लोसिस , डिप्थीरिया और टिटनेस के प्रति प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने यानी कि इम्यून सिस्टम बढ़ाने के लिए बच्चों में टीकाकरण वैक्सीनेशन जरूर होना चाहिए।
जन्म के समय हेपेटाइटिस बी की पहली खुराक, बीसीजी और ओरल पोलियो वैक्सीन दी जानी चाहिए ।
6 से 14 हफ्ते के बीच डीपीटी, हेपेटाइटिस बी की दूसरी खुराक, पोलियो और रोटावायरस वैक्सीन दी जानी चाहिए ।
छठे महीने में हेपेटाइटिस बी की तीसरी खुराक और पोलियो वैक्सीन दी जानी चाहिए ।
नवे महीने में खसरा से बचाव के लिए एमएमआर और पोलियो पोलियो की अन्य खुराक दी जानी चाहिए ।
9 से 12 महीने में टाइफाइड वैक्सीन और हेपिटाइटिस ए वैक्सीन दी जानी चाहिए ।
शिशु के लिए उसका प्रथम वर्ष यानि जन्म से प्रथम 12 महीने उसके पुरे जीवन की आधार शिला है इसलिए इन दिनों में शिशु की देखभाल विशेष कठिन व् अहम् है ।
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