
आयुर्वेद में अकरकरा का उल्लेख चरक संहिंता , वाग्भट्ट रचित ग्रंथो ,सुश्रुत संहिता संहिता में नहीं मिलता है परंतु लघुत्रयी के भावप्रकाश-निघण्टु व शार्ङ्गधर संहिता मैं इसका उल्लेख मिलता है
अकरकरा का परिचय / Introduction to Akarkara
भावप्रकाश निघण्टु के गुडुच्यादी वर्ग में अकरकरा का उल्लेख मिलता है भृङ्गराज ( compositae ) कुल की 11 वनौषधियों मैं से अकरकरा एक है, यूनानी चिकित्सा ग्रंथों में भी बाबूना वर्ग की औषधियों के अंतर्गत अकरकरा का उल्लेख मिलता है यह औषधि मूलतः भारत व अरब ( बहुतायत से अल्जीरिया ) में पाई जाती है I
यह तीन प्रकार की होती है –
1.- अकरकरा / Anacyclus Pyrethrum
2.- भारतीय अकरकरा / Spilenthes Acmella Oleracea
3.- दीर्घवृन्त अकरकरा / Spilenthes Acmella calva
अकरकरा ( Anacyclus Pyrethrum ) ही आयुर्वेदिक औषधियों के लिए मुख्यत: प्रयोग किया जाता है परन्तु ये काफी महंगा होता है इस कारण बाजार में इसमें पंसारियों द्वारा मिलावट की संभावना अधिकतर रहती है I
मिलावट से बचने लिए आपको कुछ अन्तरो को समझाना होगा –
अकरकरा / Anacyclus Pyrethrum | अकरकरा सदृश |
1.- यह वजनदार होता है | 1.- यह अकरकरा / Anacyclus Pyrethrum की तुलना में वजन में हल्का होता है |
2.- इसे तोड़ने पर श्वेत आभा वाला दिखाई देता है | 2.- यह तोड़ने पर भूरापन या पीली आभा वाला दिखाई देता है |
3.- इसे सुरक्षित रखने पर इसके गुणों में 7 वर्ष तक कोई कमी नहीं आती है | 3.- इसे सुरक्षित रखने पर 2 वर्ष के पश्चात ही इसके गुणों में कमी हो जाती है |
4.- इसका स्वाद तीक्ष्ण होता है इसे खाने पर मुंह में जलन या चुनचुनाहट महसूस होती है मुंह में सामान्य शून्यता सी महसूस होती है यह अधिक समय तक रहती है इससे मुंह में लार का स्राव भी होता है | 4.- इसे खाने पर मुंह में चुनचुनाहट तो महसूस होती है पर नमकीन लार का स्राव होता है जलन की अनुभूति भी ज्यादा देर तक नहीं होती है |
अकरकरा के नाम (Name of Akarkara Tree)
संस्कृत मै – आकारकर्त्र , आकल्क
हिंदी मै – अकरकरा , अकलकरा
बंगाली में – आकलकारा
मराठी में ‘ अकल्लकरा
गुजराती – अकौरकरौ
अंग्रेजी में – पैलिटरी (Pellitory)
लेटिन में – ऐनासाइकल्स पयरेथ्रम (Anacyclus Pyrethrum)
उपयोगी अंग / Useful parts
इसमें पयरेथ्रिन (pyrethrin) क्षाराभ पाया जाता है इसमें स्थाई व् उड़नशील पीतवर्ण तैल होता है
गुणधर्म / Property
यह कामोत्तेजक , बल्य, शोथहर , जन्तुघ्न ( क्रीम नाशक ) , रक्त – शोधक , कफध्न , मूत्र को कम करने वाला है I यह हृदय गति व् रक्त संचार बढ़ने वालाहै हृदय दौर्बल्य नाशक दन्त विकार नाशक है I
यूनानी मतानुसार गुणधर्म
यूनानी चिकित्स्कों के अनुसार अकरकरा दूसरे दर्जे में रुक्ष व् गरम है , यह फेफड़ो की गति में वृद्धि करता है अतएव फेफड़ों के लिए हानिकारक है I
आधुनिक मतानुसार
एलोपैथी में अकरकरा से टिंचर ऑफ़ पाइरिथ्रम बनाया जाता है जो दन्त दर्द , गठिया , अपस्मार , लकवा , तुतलाना और कम्पवात आदि अनेक रोगो में लाभदायक है
प्रतिनिधी / Alternative
अकरकरा के आभाव में –
अमाशय रोगो उपचार में सोंठ अगर और रास्ना
यकृत रोगो के उपचार में पिपल्ली और मधु ली जा सकती है
अकरकरा के उपयोग, फायदे / Uses of Akarkara in Hindi
दांत दर्द व् दन्त रोग निवारक

अकरकरा, छोटी पीपल, लौंग, काली मिर्च, माजूफल, छोटी इलायची सभी को मिलाकर चूर्ण (Powder) बनाकर रख ले इस से मंजन करने पर सभी प्रकार के दांतो के दर्द में लाभ मिलता है यह दांतो के सभी प्रकार के रोगो में लाभदायक है दांतो को सुन्दर और मजबूत बनता है
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गले का बैठना ( स्वर भेद )
अकरकरा, बच, कुलीजन, काली मिर्च, तज सभी को बराबर लेकर कपड़छन चूर्ण (Powder) बना लें इसमें से एक ग्राम रोजाना शहद से चाटे इससे स्वर भेद में लाभ होता है
बच्चों का तुतलाना
अकरकरा चूर्ण (Powder) 125 से 250 मि. ग्रा. को शहद में मिलाकर चटावे
मक्खियां भगाने के लिए
अकरकरा ,नौसादर और नरगिस की जड़ इन तीनों को पानी में पीसकर उस पानी को दीवारों पर छिड़कने से मक्खियां भाग जाती हैं
हृदय रोगों में
अकरकरा और इससे दोगुना अर्जुन की छाल का चूर्ण (Powder) मिलाकर रख लें इसमें से 1 से 2 ग्राम चूर्ण सुबह श्याम गाय के दूध से सेवन करने से हृदय शूल, कंपन व घबराहट दूर होती है
खाँसी व श्वास दमा के लिए
अकरकरा व इससे दोगुनी मुलेठी व तीनों को समान मात्रा में मिलाकर चूर्ण (Powder) बना लें इस चूर्ण को 1 से 3 ग्राम तक शहद या गुनगुने जल से लेने से खाँसी व श्वास दमा के लिए लाभदायक है
सेक्सुअल स्टैमिना बढ़ाने के लिए
अकरकरा 10 ग्राम ,अश्वगंधा 20 ग्राम, सफेद मुसली 20 ग्राम, ताल मखाने 10 ग्राम, मिश्री 60 ग्राम इन सभी को मिलाकर चूर्ण (Powder) बनाकर रख लें इस चूर्ण में से तीन 3 ग्राम चूर्ण सुबह शाम दूध से लेने से सेक्स स्टेमिना बढती है
बुखार के लिए
चिरायता और अकरकरा दोनों के चूर्ण (Powder) को मिलाकर रख लें इसमें से 1 ग्राम चूर्ण शहद से चटाने से बुखार में राहत मिलती है
साइटिका के दर्द के लिए
अकरकरा चूर्ण (Powder) को अखरोट के तेल में मिलाकर साइटिका के दर्द वाले स्थान पर लगाने से साइटिका दर्द में फायदा मिलता है
अहित प्रभाव / दुष्प्रभाव
अकरकरा को अधिक मात्रा में सेवन नहीं करना चाहिए अधिक मात्रा में सेवन करने से उल्टी दस्त होना, ह्रदय गति का बढ़ना ,पेट में जलन व अधिक मात्रा में त्वचा पर लगाने से त्वचा पर जलन त्वचा का लाल रंग का हो जाना यह दुष्प्रभाव हो सकते हैं
निवारण
निवारण हेतु अहित प्रभाव / दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए दूध, घी ,दाख (मुनक्का), कतीरा आदि पित्त नाशक पदार्थों का सेवन करवाना चाहिए
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वैद्यकीय चेतावनी
अकरकरा के उपयोग बताए गए हैं परंतु किसी भी रोग के उपचार के लिए , अकरकरा का उपयोग चिकित्सक के परामर्श से ही करें I
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