सही आहार, व्यायाम, नियमित जांच और चिकित्सा उपचार से मधुमेह को नियंत्रण में रखा जा सकता है। मधुमेह रोग का स्थाई इलाज नहीं है, इसको केवल नियंत्रित किया जा सकता है।
परंतु हम आपको एक ऐसी कहानी सुनाएंगे जिसमें एक चिकित्सक ने अपनी ही डायबिटीज को एक वृद्ध आदिवासी से ठीक करवाया था उन्होंने बताया की –
उनको भयंकर मधुमेह रोग हो गया, इस कारण वह एलोपैथिक डॉक्टर की शरण में चले गए एलोपैथिक की दवाइयां उन्होंने लगभग तीन चार वर्ष तक खाई, परंतु उनका डायबिटीज केवल कंट्रोल ही हो पाया और वह भी ज्यादा नहीं, जब मेडिसिन नहीं लेते तो डायबिटीज बढ़ जाता, चिकित्सक, एक वृद्ध आदिवासी के पास गए। वृद्ध आदिवासी ने उनको विश्वास दिलाया कि वह, उनकी डायबिटीज को पूरी तरह से ठीक कर देंगे परंतु आपको मेरी आयुर्वेदिक चिकित्सा लेनी होगी। उस वृद्ध आदिवासी ने चिकित्सक की आयुर्वेदिक चिकित्सा की और आयुर्वेदिक इलाज से, उस चिकित्सक की डाइबिटीज को, पूरी तरह से ठीक कर दिया। यह हमारे पास एक प्रत्क्षय उदारहण है।
उस वृद्ध आदिवासी से हमनें भी काफी अनुनय विनय की, कि वह आयुर्वेदिक उपचार हमें भी बता दे, जिससे हम, उस उपचार द्वारा डाइबिटीज के रोगियों को ठीक कर सके और पुण्य कमा सके। उस वृद्ध आदिवासी की वही आयुर्वेदिक चिकित्सा, आपके लिए, हम बताने जा रहे है। आप किसी अच्छे आयुर्वेदिक चिकित्सक के मार्गदर्शन में उस आयुर्वेदिक चिकित्सा कोअपनाकर अपने मधुमेह रोग को जड़ से मिटा सकते हैं । यह हमारा विश्वास है।आइये हम उस आयुर्वेदिक उपचार को जानते है।

असली बबूल का गोंद 5 किलो लेकर उसे अच्छी तरह कूट पीसकर कपड़े मै से छान लें और इसको कांच के बर्तन में सुरक्षित रखलें, अब बबूल की छाल अंतरछाल को 3 तोला यानी 30 ग्राम लेकर, दो कप पानी में डालकर उबाले, जब एक कप पानी शेष रह जाए, तब उसे छान कर रखलें और बिल्कुल ठंडा होने दें । जब वह बिल्कुल ठंडा हो जाए तो 10 ग्राम बबूल का गोंद, इस काढ़े के साथ सुबह लगभग 7:00 बजे और शाम को 6:00 बजे दोनों समय सेवन करना है । यह सर्दी के दिनों के लिए है।
गर्मी के दिनों में इस बबूल गोंद को केवल सादा जल के साथ लेना चाहिए । इस प्रकार रोजाना 10 ग्राम बबूल गोंद के हिसाब से,पूरे 5 किलो गोंद का सेवन करना है।
इस आयुर्वेदिक उपचार से आपका डाइबिटीज ठीक हो जायेगा। परन्तु आपको यह उपचार किसी योग्य चिकित्सक की निगरानी में ही करना है। इसके साथ ही आपको आयुर्वेदिक मेडिसिन बसंतकुसमाकर रस का सेवन किसी योग्य चिकित्सक के निर्देशानुसार भी करना है।
यह प्रयोग कई बार आजमाया तो उन सभी रोगियों को से पूर्ण रुप से लाभ हुआ । परन्तु फिर भी हम इसकी पूर्ण सफलता का दावा नहीं करते है, व् इस प्रयोग को किसी अच्छे हेल्थ एक्सपर्ट या चिकित्सक की देखरेख में ही सावधानी से करें।
भोजन में क्या खाएं क्या नहीं ?आपको औषधि सेवन कल में जौ चने की रोटी पालक बथुआ मैथी , मेथी दाना ,करेला टिण्डा लौकी परवल ,तुरई, मुंग, अरहर , चने की दाल, लहसुन से छौंक कर खाये।
सभी तरह के कंद शाक ,गुड़ ,तैल ,खटाई ,शक्कर ,गुड़ ,सेक्रीन ,आलू ,सेक्रीन अरबी ,आलू ,बैंगन ,मिठाई , मीठे का परहेज करना।इस प्रयोग के दौरान ब्रह्मचर्य का पूरी तरह पालन करना है।
मधुमेह पर एक सफल प्रयोग, A successful experiment on Diabetes बताया गया हैं, परंतु रोग के उपचार हेतु चिकित्सक से परामर्श करके ही इसका उपयोग करें।
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