मधुमेह क्या है?/ यह क्यों होता है?/ What is diabetes and why does it happen?

हमारे देश में सात आठ करोड़ से ज्यादा लोग डायबिटीज की गिरफ्त में है लगभग 12 करोड़ प्रीडायबिटीज की स्थिति में हैं।

नेशनल अर्बन डायबिटीज सर्वे के अनुसार हमारे देश को दुनिया के टॉप 3 डायबिटीज देशों में शामिल किया गया है इसलिए भारत को डायबिटीज कैपिटल भी कहते हैं।

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डायबिटीज क्या है क्यों होती है आदि अनेकों महत्वपूर्ण प्रश्न हैं, जो हमारे लिए बहुत ही उपयोगी हैं आइए हम इन प्रश्नों के उत्तर जानते हैं।

 

डायबिटीज(मधुमेह) क्या होता है ?

डायबिटीज एक ऐसी स्थिति है जिसमें रक्त में ग्लूकोज की मात्रा अधिक हो जाती है अगर किसी व्यक्ति का खाली पेट ग्लूकोस 126 mg/dl व खाने से 2 घंटे बाद तक 200 mg/dl तो उसे डायबिटीज का रोगी माना जाता है।

 

टाइप 2 डायबिटीज क्या है ?

टाइप 2 डायबिटीज सीधा मेटाबॉलिज्म से जुड़ा है खासतौर से इसमें इंसुलिन हार्मोन की कमी होती है। इंसुलिन हार्मोन शरीर से ग्लूकोस को सोखने का काम करता है। टाइप टू डायबिटीज में पर्याप्त इंसुलिन नहीं बनता या जो इंसुलिन बन रहा है वह अपना काम ठीक से नहीं कर पाता इंसुलिन प्रतिरोधी कोशिकाएं इंसुलिन के प्रवेश कोरोकती हैं। जबकि टाइप 1 डायबिटीज में इंसुलिन बनता ही नहीं है।

 

प्री डायबिटीज क्या है ?

टेस्ट द्वारा डायबिटीज से पहले की स्थिति, यानी ग्लूकोज को शरीर किस तरह से कंज्यूम कर रहा है, यह देखा जाता है। अगर ब्लड ग्लूकोस में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, जिसकी वजह से शरीर को ज्यादा इंसुलिन बनाना पड़ता है । यदि शरीर में कोई जेनेटिक डिसऑर्डर या कोई प्रभावित करने वाला कारण नहीं है तो शरीर ज्यादा इंसुलिन की स्थिति से निपटने के लिए प्रबंध करता है लेकिन गलत लाइफस्टाइल के कारण जहां खतरे ज्यादा है, वहां शरीर इसके अनुसार काम करता है तब पहले प्री डायबिटीज की स्थिति बनती है और धीरे-धीरे आप डायबिटीज 2 के शिकार हो जाते हैं।

 

डायबिटीज कितने प्रकार की होती है ?

टाइप 1डायबिटीज और टाइप 2डायबिटीज, इसके अलावा गर्भावस्था के समय मैं यदि ग्लूकोस की मात्रा, ब्लड में बढ़ जाती है, जिसको जेस्टेशनल डायबिटीज कहते हैं जो कि गर्भावस्था के बाद अपने आप ठीक हो जाती है और इसके अलावा हार्मोनल डायबिटीज।

 

क्या डायबिटीज को रिवर्स किया जा सकता है ?

यदि समय रहते लाइफस्टाइल और डाइट में बदलाव कर लिए जाएं तो स्थिति को निश्चित रूप से पलटा जा सकता है जितना ज्यादा समय आप ब्लड ग्लूकोस को नार्मल स्थिति में लाने में लगाएंगे डायबिटीज टाइप 2 का खतरा उतना ही बढ़ता जाएगा।

 

डायबिटीज होने का सबसे ज्यादा खतरा किन्हे ?

यदि आप सोचते हैं, कि सॉफ्ट ड्रिंक और फ्रेंचफ्राइज के चहेतों को ही चिंता करने की जरूरत है, तो ऐसा नहीं है, ध्यान रखिए !आपकी कमर 28 इंच है और दुबले-पतले हैं तो भी खतरा हो सकता है, क्योंकि जिन्हे जेनेटिक कारण हाई ब्लड प्रेशर , गुड कोलेस्ट्रॉल कम होना, खराब कोलेस्ट्रॉल की ज्यादा मात्रा, अव्यवस्थित दिनचर्या, खानपान ,फास्ट फूड ज्यादा खाना, स्ट्रेस यानी तनाव और मोटापा, यह डायबिटीज के कारण है।

 

डायबिटीज (मधुमेह) को ठीक करने के लिए क्या कर सकते हैं ?

इंडियन डायबिटीज प्रीवेंशन प्रोग्राम, लाइफ स्टाइल बदलने की बात करता है जिससे खतरे को कम कर सकते हैं और प्रीडायबिटीज की स्थिति को उल्टा भी जा सकता है।

सही खाना – ज्यादा शुगर वाली और प्रोसेस्ड खाने की जगह, साबुत अनाज हरी सब्जियां और फल खाएं साथ ही ज्यादा फाइबर वाली चीजें खाएं इससे डायबिटीज होने का खतरा 11% कम हो जाता है।

अपने साइज पर ध्यान दें- आपका वजन ज्यादा नहीं होना चाहिए।

अच्छा मेटाबॉलिज्म-जर्नल ऑफ ऑप्टिक्लीनिकल फाइब्रोइनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज्म ने बताया है कि मांसपेशियों में 10 फ़ीसदी बढ़ोतरी के साथ ही प्री डायबिटीज का खतरा 12% कम हो जाता है।

सनलाइट जरूरी- जिन लोगों में विटामिन डी पर्याप्त मात्रा में होता है उन्हें डायबिटीज टाइप 2 का खतरा कम हो जाता है सनलाइट इसका अच्छा स्रोत है।

 

तनाव में कमी-

तनाव के दौरान ऐसे हार्मोन रिलीज होते हैं जो खून में ग्लूकोज का स्तर बढ़ा सकते हैं और शरीर इनको मुश्किल से ही कम कर पाता है।

धूम्रपान बंद – कैलिफोर्निया स्टेट पॉलिटेक्निक यूनिवर्सिटी की स्टडी के अनुसार निकोटिन हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ा देता है इससे भी डायबिटीज का खतरा रहता है।

 

टेस्ट जो जरूरी है..

टेस्ट 1 (फास्टिंग ब्लड ग्लूकोस टेस्ट) फास्टिंग प्लाजमा ग्लूकोस टेस्ट भी कहते हैं यह साधारण ब्लड टेस्ट है जो खाली पेट किया जाता है विशेष रूप से यह सुबह के समय किया जाता है ताकि ब्लड में ग्लूकोज के स्तर का पता चल सके रिजल्ट यदि 100mg प्रति डीएल नॉर्मल 100 से 125 एमजी टीटीएल प्रीडायबिटीज और 126 एमजीसीपीएल या इससे अधिक डायबिटीज

टेस्ट 2 ओरल ग्लूकोस टोलरेंस टेस्ट (ओजीटीटी) इस टेस्ट से पता चलता है कि शरीर ब्लड ग्लूकोस को किस तरह कम करता है फास्टिंग ग्लूकोस टेस्ट को ओजीटीटी के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट की तरह कराना चाहिए यदि आपका फास्टिंग स्तर 90 से 99 के बीच है तो फास्टिंग ब्लड ग्लूकोस उच्च स्तर पर नहीं जा रहा है। इस टेस्ट में 3 घंटे का समय होता है यह टेस्ट फास्टिंग ब्लड ग्लूकोस टेस्ट से शुरू होता है इसके बाद 75 ml ग्लूकोज पीना होता है फिर 2 से 3 घंटे बाद ब्लड टेस्ट किया जाता है।

टेस्ट 3 हीमोग्लोबिन A1c या hbA1c टेस्ट- यह ब्लड टेस्ट 3 महीने के ग्लूकोज स्तर को नापने के लिए होता है रेड ब्लड कॉरपसल्स RBC के जरिए ऑक्सीजन ले जाती है, यानी यह और अधिक ग्लूकोज मॉलिक्यूल को आकर्षित करती हैं। ग्लूकोज लेवल ज्यादा होता तो सामान्य तौर पर यह और ज्यादा ग्लूकोज अपने साथ ले जाती हैं यानी ग्लूकोज लेवल ज्यादा तो hbA1c रीडिंग भी ज्यादा आएगी।

 

डायबिटीज से स्वास्थ्य को क्या नुकसान होता है ?

डायबिटीज से शरीर की विभिन्न अंग जैसे आंख, किडनी, हृदय, नसों, पैरों और दांतों पर बुरा असर होता है, अगर इसका सही नियंत्रण ना किया जाए तो अनियंत्रित मधुमेह के कारण बहुत सारे लोग जैसे धुंधला दिखाई देना या बिल्कुल दिखाई नहीं देना, किडनी में इन्फेक्शन होना ,गैंग्रीन रोग का होना, पैरों की समस्याएं लैंगिक समस्याएं और दिमाग की असंतुलन और हृदय के रोगों का बढ़ता खतरा।

 

हाइपोग्लाइसीमिया क्या है ?

यदि किसी की रक्त शर्करा 70 से कम होती है तब उसे घबराहट, पसीना ,चक्कर, दौरे, बेहोशी आदि की शिकायत होने लगती है इससे हाइपोग्लाइसीमिया कहते हैं ऐसे लक्षण यदि डायबिटीज के रोगी में देखने को मिलते हैं तो उसे मीठी चीजें जैसे शहद, चीनी, मिठाई आदि खाने की सलाह दी जाती है।

 

डायबिटीज में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?

डॉक्टर की सलाह से व्यायाम 30 से 45 मिनट तक, तेज गति से चलना, हल्का-फुल्का आहार बार-बार लेते रहना चाहिए। अपने वजन पर नियंत्रण रखें। दिमाग में मानसिक तनाव कम से कम करें। अच्छाई की भावनाएं जगाए और खुश रहें।

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